Sunday, July 25, 2010

बाढ़ का दृश्य मेरे नजर से .........!!


वन्दे मातरम !!
मै आपका अपना गौरव शर्मा पिछले पोस्ट पर मिले आप सभी के स्नेह और आशीर्वाद के लिए आप समस्त आत्मीय जनों का आभार व्यक्त करते हुए आज अपने शहर रायपुर में विगत दो दिनों के भारी बारिश के बाद निर्मित बाढ़ की तस्वीर जिसके दर्शन मैंने किये उसे आपके समक्छ प्रस्तुत करने के लिए आज पुनः उपस्थित हूँ , {विदित हो की मुझे कविता लिखने बिलकुल भी नहीं आता पर प्रयास निरंतर जारी है } कुछ पंक्ति प्रस्तुत है :


बाढ़ देख रहा था मै बाढ़ देख रहा था ,
झाड़ पर खड़े होकर बाढ़ देख रहा था

उजड़ रहा घरद्वार बिखर रहा परिवार और
कहीं चेहरे पर ख़ुशी तो कहीं आंशुओं के सैलाब देख रहा था

किसानों के माथे चिंता की लकीरें और फसल हो रहा बर्बाद, साथ ही
चारों और फैली सिर्फ गंदगी और लोगों को होते बीमार देख रहा था

झोपड़ों में भरता पानी महलों में मनता रहा त्यौहार और
कहीं निकम्मी सरकार तो कहीं जनता को लाचार देख रहा था

प्रशाशन के दावों को होते तार तार और
राहत के नाम पर चल रहा व्यपार देख रहा था

ऊपर वाले का मासूमों पर होता अत्याचार और
ऐसे हालत में भी लोगों का उसपर पर ऐतबार देख रहा था


बाढ़ देख रहा था मै बाढ़ देख रहा था ,
झाड़ पर खड़े होकर बाढ़ देख रहा था

3 comments:

  1. हमारे देश में बाढ़ का अपना महत्त्व है | इसे हम बाढ़ोत्सव के रूप में भी मना सकते हैं|आपके ही शब्दों में बाढ़ राहत के नाम पर व्यापार को बढ़ावा देती है| बाढ़ टी वी चैनलों के लिए मसाला भी मुहैया कराती है| इस तरह किसानों के दो चार आंसुओं के बदले वातानुकूलित कमरों से कुछ लोग बाढ़ का आनन्द ले सकते हैं | वन्दे मातरम!

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  2. परिपक्व लेखन के लिए बधाई हो गौरव.

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  3. THIS IS JUST AWESOME!!!


    WELL SAID BHAIYA ....NICE THINKING U HAVE EVERY INDIAN SHOULD HAVE THIS THINKING

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