Saturday, July 31, 2010

फ्रेंडशिप डे की आवश्यकता क्यों.............


आज "फ्रेंडशिप डे" मनाया जा रहा है, सभी अपने दोस्तों को शुभकामनायें दे रहे हैं, कोई फ्रेंडशिप बेल्ट के माध्यम से तो कोई किसी उपहार के माध्यम से अपनी दोस्ती प्रदर्शित करता नजर आ रहा है...
मन में विचार आ रहा है कि क्या हम इतने अधिक व्यस्त हो गए की पाश्चात्य संस्कृति की तरह हमें भी अपनों से अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करने के लिए किसी "दिन विशेष" का मोहताज होना होगा !!
विदित हो कि हम भारतीय हैं, हमारे देश में रिश्ते जन्म जन्मान्तर तक निभाए जाते हैं, मगर आज कभी फादर्स डे, कभी मदर्स डे तो कभी वेलेंटाइन डे के नाम पर हम भी पाश्चात्य संस्कृति और सभ्यता को अपनाते जा रहे हैं और "दिन विशेष" के फेर में हमारे रिश्तों कि आत्मीयता, संवेदनशीलता दिन प्रति दिन कम होती जा रही है, आज रिश्ते महज औपचारिक होकर रह गए हैं, वर्ष में एक बार अपने भावनाओं का इज़हार कर लिया और फिर हो गयी छुट्टी !!
यह समझ से परे है कि क्या फ्रेंडशिप बेल्ट बांधने से या उपहार देने से ही मित्रता अभिव्यक्त होगी........कदापि नहीं, रिश्ते कि सार्थकता तो तब है, जब हमारी भावनाएं बिना कहे ही अभिव्यक्त हो जाएँ, क्या भगवान कृष्ण और सुदामा जी ने कभी अपनी भावनाओं को कभी अभिव्यक्त किया ........कभी नहीं , पर आज भी हम उनकी मित्रता कि मिशाल देते नहीं थकते क्योंकि उनके रिश्ते में आत्मीयता थी, पवित्रता थी, वह वर्तमान में वह आत्मीयता, पवित्रता और संवेदन शीलता इस प्रकार के "दिन विशेष" के चक्कर में गुम हो गयी है !!
मेरा मकसद किसी का विरोध करना बिलकुल भी नहीं है, मै तो बस रिश्ते की आत्मीयता और संवेदनशीलता को गुम होने से बचाना चाहता हूँ.............वन्दे मातरम !!

Sunday, July 25, 2010

बाढ़ का दृश्य मेरे नजर से .........!!


वन्दे मातरम !!
मै आपका अपना गौरव शर्मा पिछले पोस्ट पर मिले आप सभी के स्नेह और आशीर्वाद के लिए आप समस्त आत्मीय जनों का आभार व्यक्त करते हुए आज अपने शहर रायपुर में विगत दो दिनों के भारी बारिश के बाद निर्मित बाढ़ की तस्वीर जिसके दर्शन मैंने किये उसे आपके समक्छ प्रस्तुत करने के लिए आज पुनः उपस्थित हूँ , {विदित हो की मुझे कविता लिखने बिलकुल भी नहीं आता पर प्रयास निरंतर जारी है } कुछ पंक्ति प्रस्तुत है :


बाढ़ देख रहा था मै बाढ़ देख रहा था ,
झाड़ पर खड़े होकर बाढ़ देख रहा था

उजड़ रहा घरद्वार बिखर रहा परिवार और
कहीं चेहरे पर ख़ुशी तो कहीं आंशुओं के सैलाब देख रहा था

किसानों के माथे चिंता की लकीरें और फसल हो रहा बर्बाद, साथ ही
चारों और फैली सिर्फ गंदगी और लोगों को होते बीमार देख रहा था

झोपड़ों में भरता पानी महलों में मनता रहा त्यौहार और
कहीं निकम्मी सरकार तो कहीं जनता को लाचार देख रहा था

प्रशाशन के दावों को होते तार तार और
राहत के नाम पर चल रहा व्यपार देख रहा था

ऊपर वाले का मासूमों पर होता अत्याचार और
ऐसे हालत में भी लोगों का उसपर पर ऐतबार देख रहा था


बाढ़ देख रहा था मै बाढ़ देख रहा था ,
झाड़ पर खड़े होकर बाढ़ देख रहा था

Wednesday, July 21, 2010


वन्दे मातरम !!
आपको सूचित करते हुए अत्यंत हर्ष हो रहा है की आप समस्त देशभक्तों एवं देश के समर्पित जागरूक नागरिकों के सहयोग से देश की जनता को एकता और "भारतीयता" के सूत्र में पिरोने के उद्देश्य से "अभियान भारतीय" की शुरुआत 15 अगस्त 2010 "स्वतंत्रता दिवस " के पावन अवसर से की जाएगी !!
पुनः आप सभी से अपील, की अब हम जाती, धर्म, भाषा के भेदभाव को त्यागकर एक हो जाएँ और भारत को विश्वगुरु के पुरातन स्वरूप में पुनः प्रतिष्ठित करें.......
मै यहाँ उल्लेख करना चाहता हूँ अपने उन आत्मीय जनों का जिनसे मुझे यह प्रेरणा मिली और जिनके मार्गदर्शन जिनके सहयोग से मै इस विचार को आपके समक्छ प्रस्तुत कर रहा हूँ :- आदरणीय एस. एम्. हबीब साहब, भाई युवराज शर्मा, आदरणीय गोपाला जी, भाई गीतेश जैन, भाई पलाश डोंगरे, भाई सागर तिवारी, भाई अमित दुबे, आदरणीया ममता दीदी, भाई केवल श्रीवास, भाई अभिषेक कसार, भाई नागेश राउत, भाई अमित शर्मा सहित जिनसे भी हमें प्रत्यक्छ अप्रत्याक्छ सहयोग प्राप्त हो रहा है मै उन सभी के प्रति आभार व्यक्त करता हूँ एवं भविष्य में भी सहयोग की कामना करता हूँ ..........वन्दे मातरम !!

Monday, July 12, 2010

""अभियान भारतीय""


वन्दे मातरम !!
मै आज एक महत्वपूर्ण निर्णय से पूर्व आपकी सलाह, आपकी राय जानना चाहता हूँ , हम इंटरनेट के माध्यम से एक अभियान की शुरुआत आप सभी आत्मीय जनों के मार्गदर्शन और आशीर्वाद से करना चाहते हैं जिसका नाम है ""अभियान भारतीय""
हमारा उद्देश्य है की हम देश की आम जनता तक यह सन्देश पहुंचाएं की अब हम हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई में न बंटकर सिर्फ "भारतीय" रहें और इसी रूप में अपने भारत को पुनः विश्वगुरु के स्थान पर आसीन करें !!
हम भारत देश को "भारतीयता" का सन्देश देकर एकता के सूत्र में पिरोना चाहते हैं !!
हम सभी ब्लॉग एवं इंटरनेट पर मौजूद अन्य माध्यमों से इस सन्देश को प्रसारित कर सकते हैं निश्चित ही इस उद्देश्य को सुधीजनों का आशीर्वाद और सहयोग मिलेगा और यह अभियान सफल होगा, इसके बाद जब हमारे साथ एक बड़ा तबका मौजूद होगा तो यह प्रयास और हमारा अभियान इंटरनेट से बाहर व्यापक रूप में गली-कुचों चौक-चौराहों में भी प्रसारित होगा और वहां भी लोग इसे सराहेंगे ऐसी आशा ही नहीं वरन विश्वास है!!
हमारे इस विचार और अभियान को आपके सहयोग की अपेक्छा है अतः इस विषय पर आप मुझे अपने महत्वपूर्ण विचार से अवगत अवश्य कराएँ वन्दे मातरम !!

Friday, July 2, 2010

आतंकवादियों के फांसी का विरोध करने वालों का विरोध...


वन्दे मातरम !!
आज हर भारतवासी की तरह मै भी व्यथित हूँ, और यह सोचने पर मजबूर हूँ की कैसे कोई व्यक्ति और विशेषकर वह व्यक्ति जो सर्वाधिक आतंकी गतिविधियों से पीड़ित प्रदेश का मुखिया है, आतंकवादियों की फांसी की सजा को माफ़ करने की बात कर सकता है......आज एक आम भारतीय होने के नाते मै इस विचार का विरोध करता हूँ और मुझे यह कहने में कतई संकोच नहीं है की इस प्रकार की बात करने वाले लोगों पर शासन प्रशासन कोई कार्यवाही करे न करे पर जनता ऐसी भावनाओं और इस गुहार को तो कतई स्वीकार नहीं करेगी !!
मै अपनी भावनाएं इस कविता के माध्यम से आपके समक्छ व्यक्त करना चाहता हूँ की :-

देखो कैसा समय है आया, आतंकी ने भी एप्रोच लगाया,
और उमर {उमर अब्दुल्ला} ने चेहरा असली दिखलाया..

करता है गुहार वह, माफ़ करो अजमल अफज़ल को,
गुहार पर धित्कार है, लगता है चल रहा लाशों का व्यापार है..

कैसे माफ़ करें हम मासूमों के हत्यारों को,
छिना है जिसने हमसे हमारे प्यारों को..

भूल गए क्या संसद पर हमला, हमलों से मुंबई जब दहला,
कश्मीर निशाने पर रहता सदा है क्या यह भी भूल गए अब्दुल्ला..

फांसी पर चढाओ पहले जो इनका समर्थक है,
कहता है जो फांसी देना आतंकी को निरर्थक है..........!!
अगर आप मेरी भावनाओं से सहमत हैं तो कृपया अपनी प्रतिक्रिया अवश्य देवें!!