Friday, June 18, 2010

और मै फिर आ गया आपके पास ..............

वन्दे मातरम ........कैसे हैं आप सब ?
मै आपका अपना गौरव शर्मा "भारतीय" आज अपने को आप सभी के बीच पुनः पाकर प्रसन्न हूँ !!
कहते हैं की जब कोई भी कार्य कुशलता के साथ संचालित हो रहा हो तो उसमे बाधा जरुर आती है और यही बाधा उसके सफलता की निशानी भी होती है, ऐसा ही कुछ हुआ मेरे साथ, विगत दिनों कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा दुर्भावना वश तब मेरे प्रोफाइल सहित ब्लॉग को अधिग्रहित कर समाप्त कर दिया कर गया जब उसे आप सभी का अपार स्नेह और आशीर्वाद मिल रहा था
मै उदास हुआ परेशान हुआ इन तीन दिनों में मैंने जितनी परेशानी महसूस की मुझे नहीं लगता की कभी और की हो और इन्ही दिनों में मुझे अहसास हुआ की आप सभी के शुभकामनाओं, स्नेह और आशीर्वाद के बिना मै कुछ भी नहीं, मुझे स्वीकारने में कण मात्र भी संकोच नहीं की आप लोगों के बिना मेरा कोई अस्तित्व ही नहीं, मेरे समस्त आदरणीय जन, मेरे मित्र गण और मेरे शुभचिंतकों से परिपूर्ण समृद्ध परिवार ही मेरा सब कुछ है !! मेरे इसी परिवार के सदस्यों ने इस कठिन पल में मेरा साथ दिया, हौसला बढाया और फिर से आपसभी के बीच में आने के लिए तैयार किया !!
आज मै पुनः मेरे नए प्रोफाइल और नए ब्लॉग के साथ आपके बीच उपस्थित हूँ सच में मुझे ऐसा लग रहा है की मुझे फिर से जीवन मिल गया है, और मै आज धन्यवाद देना चाहता हूँ उन सभी शुभचिंतकों का जिन्होंने मुझे नए जोश से भर दिया और फिर से अपना स्नेह और आशीर्वाद प्रदान करना प्रारंभ किया, सच में उन सभी के कारण ही तो मै फिर से आ सका आपके पास ...........

3 comments:

  1. नमस्कार गौरव,
    आपको ब्लॉग में वापस पाकर अच्छा लगा गौरव. बाधाएं हमें क्षणिक परेशानी परन्तु चिरकालीन सिक्षा प्रदान कराती हैं. इसलिए इन्हें दोस्त बना लेना चाहिए ऐसा मेरा सोचना है.
    "दुःख से दूरी की कोशिश फिजूल है,
    इन्हें मथो, सुख का माखन छलकेगा,
    रात कितनी ही काली और लम्बी हो
    रोशनी के बरात लेकर सूरज जरूर निकलेगा... "
    शुभकामनाएं....

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  2. भैया वन्दे मातरम !!
    मैंने पहले भी कहा था और आज भी कह रहा हूँ की गौरव शर्मा "भारतीय" यह नाम ही काफी है लोगों को जोड़ने के लिए , आपके साथ एक ही दिन में सत्तर से अधिक लोग शामिल हो गए और अधिकाधिक लोग आपके ब्लॉग को पढ़ कर सरह रहे हैं वह क्या कम है ? और मई तो यह भी कहना चाहता हूँ की अगर आपका प्रोफाइल और ब्लॉग डिलीट हो गया तो इसमें कोई समस्या नहीं बल्कि इसमें अब आप नए जोश और नए उत्साह के साथ नए लोगों से भी जुड़ रहे हैं और आपके ब्लॉग ने तो बड़े सुन्दर ढंग से अपनी उपस्थिति दर्ज करायी है !!
    आपने कहा तीन दिनों तक आप परेशान थे , मई कहना चाहता हूँ की केवल आप ही नहीं बल्कि हम सब परेशान थे , मगर अब सबकुछ ठीक हो चूका है अब आप लिखते रहिये और हम पढ़ते रहेंगे आपको पुनः बधाई ...............

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  3. रोक पायेगी हमे क्या नागफनियाँ रस्ते की
    मै अकेले अग्नि पथ पर ही चला हूँ

    वक्त ने हम सब को इतना सताया की
    सूर्य हमको देख कर आंखे चुराता है
    मुश्किलों को रोज़ हम देते चौनती
    हर अँधेरा दूर से ही लौट जाता है
    है हुम्हे मालूम सर्पो के सभी गंदे इरादे
    मै विवर के पास हरदम ही पला हूँ
    बांध पाए गा नहीं कोई प्रलय का वेग अब तो
    मै प्रलय के पूर्व को वो जलजला हूँ

    रोक पायेगी हमे क्या नागफनियाँ रस्ते की
    मै अकेले अग्नि पथ पर ही चला हूँ

    हैक करने दो ..................देखते है किसा का हौसला पस्त होता है
    हमारी बोलग को हैक कर सकते हो हमारी कलम को तो नहीं ना
    हर हर महादेव

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